[बार कौंसिल ऑफ इंडिया] जस्टीस चंन्द्रचूड़ मामले में इंडियन बार एसोसिएशन और कई संगठनों ने की बार कौन्सिल अध्यक्ष मनन मिश्रा के चापलूसी की निंदा।

  •  आर.के. पठाण ने मनन मिश्रा को भेजा १०० करोड़ का नोटीस। 
  • मनन मिश्रा पर दायर होगा केस।
  • IPC 192, 193, 201, 409, 471, 474, 120(B), 34, तथा कोर्ट अवमानना कानून की धारा 2(c), 12, 15 के तहत करेंगे क़ानूनी कारवाई।
  • मामला मा. राष्ट्रपती और मा. चीफ जस्टीस के पास प्रलंबित रहते हुए मनन मिश्रा द्वारा जस्टीस चंन्द्रचूड़ को निर्दोष बताकर चीफ जस्टीस पर दबाव बनाने और उनके
  • अधिकारों में हस्तक्षेप करने के लिए देशभर से मनन मिश्रा का विरोध।
  • मनन मिश्रा की सनद और बार कौन्सिल सदस्यता रद्द करने की मांग। 

नई दिल्ली : बार कौन्सिल ऑफ़ इंडिया के विवादास्पद अध्यक्ष ॲड. मनन कुमार मिश्रा द्वारा जस्टीस चंन्द्रचूड़ की चापलूसी करने का मामला उनको भारी पड़ गया है। वे बुरे फस गए है।  शिकायत कर्ता रशीद खान पठान के वकिल ने उन्हें १०० करोड़ का नोटिस जारी कर तुरंत माफ़ी मांगने को कहा है।  इंडियन बार असोसिएशन समेत कई वकील संघटन जैसे 'इंटरनॅशनल ह्यूमन राईट्स लॉयर्स', लॉ स्टुडेंट्स अँड एक्टिविस्ट असोसिएशन', अवेकन इंडिया मुव्हमेंट, मानव अधिकार सुरक्षा परिषद आदी संगठनों ने भी मनन मिश्रा की निंदा की है ।

और मनन मिश्रा को उस अधिकार पत्र को पेश करने का नोटीस दिया गया है. जिस आधार पर मनन मिश्रा ने यह कहा की देश के सभी नागरिक और वकीलों को जस्टीस चंन्द्रचूड़  में पूर्ण आस्था है।  वास्तविकता में मनन मिश्रा का यह दावा झूठा है और नोटीस के बाद उनकी पोल खुल गयी है।  देश के करोडो लोगो ने जस्टीस चंद्रचूड पर अविश्वास जताकर उन्हें हटाने की मांग की है। 

विस्तृत समाचार :

'सुप्रीम कोर्ट अँड हाय कोर्ट लिटिगंट असोसिएशन' के अध्यक्ष आर. के. पठान ने जस्टीस डी. वाय. चंद्रचूड के भ्रष्टाचार के खिलाफ दि. 28 नवंबर, 2021 में एक शिकायत दर्ज कि थी. [Case no. - PRSEC/E/2022/33812]

Link: https://drive.google.com/file/d/1FSWEBmRGjAetLPu9v6el60SgI2tKMBdA/view?usp=sharing

उसमें दि. 18 फरवरी, 2022 को राष्ट्रपती की ओर से Deemed Sanction (केस चलाने की मंजूरी) मिल गई. [Case No. PRSEC/E / 2022/04661]  

Link: https://drive.google.com/file/d/1buYOSUVIE-GVSuaS91ZBkVl1OsfgvTj9/view?usp=sharing

उसके बाद दि. 5 अक्टूबर, 2022 को आर.के. पठाण  ने अन्य सबूतों के साथ जस्टीस चंन्द्रचूड़ द्वारा अपने बेटे के संबंधीत केस में माफियाओ को फायदा पहुंचाने के लिए पास किये गए गैरकानूनी आदेश और अन्य विभिन्न भ्रष्टाचार तथा अन्य गंभीर गुनाहो के संबंध में नयी शिकायत मा. राष्ट्रपती और मा. चीफ जस्टीस ऑफ़ इंडिया के पास दर्ज की। वह मामला तफ्तीश के लिए राष्ट्रपती  और चीफ जस्टीस के पास विचाराधीन है। [ Case No.- PRSEC/E/2022/30960]

Link : https://drive.google.com/file/d/1pB4REDIFTfUdgDA-bZm2j4VCmsVF7y9a/view?usp=sharing

विस्तृत न्यूज :

TITLE1:  जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ खुद के बेटे को अनुचित लाभ पहुचाने के लिए भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग का केस. एक और मामले मे राष्ट्रपती  कार्यालय द्वारा चंद्रचूड़ के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने के लिए मिली मंजूरी।

LINK: https://rashidkhanvaccineblog.blogspot.com/2022/10/blog-post.htm

TITLE 2: Complaint filed against Justice D. Y. Chandrachud for offences of forgery, Contempt and serious criminal offences under IPC. President of ‘Supreme Court & High Court Litigant Association (SCHCLA)’ filed complaint on affidavit.

LINK: https://rashidkhanvaccineblog.blogspot.com/2022/10/complaint-filed-against-justice-d-y.html

इसी बीच मनन मिश्रा ने दि. 08.10.2022 को अपनी चापलूसी का परिचय देते हुए आनन फानन मे एक पत्र जारी कर जस्टीस चन्द्रचूड को निर्दोष बताकर शिकायतकर्ता की शिकायत झुठी होने का निर्णय दे दिया। उस पत्र में मनन मिश्रा ने कई झुठी बाते लिखकर लोगो को भ्रमीत करने और शिकायत कर्ता को बदनाम करने का प्रयास किया।

सुप्रीम कोर्ट ने C. Ravichandran Iyer vs. Justice A.M. Bhattacharjee (1995) 5  SCC 547  मामले मे सभी बार एसोसिएशन को स्पष्ट निर्देश दिये है की जब जज के खिलाफ की कोई भी शिकायत अगर CJI के पास प्रलंबित है, तब, बार असोसिएशन उस मामले से संबंधीत सारी गतीविधीया स्थगीत  रखे और CJI को निष्पक्षता से निर्णय लेने दे। 

लेकिन मनन मिश्रा ने उस आदेश की अवमानना कर गैरकानूनी पत्र जारी कर शिकायत कर्ता, उसके वकील और गवाहो पर दबाव बनाने का प्रयास किया इसलिए उनके खिलाफ IPC 192, 193, 201, 409, 471, 474, 120(B), 34 तथा कोर्ट अवमानना कानून 1971 की धारा 2 (c), 12, 15 तथा संविधान के अनुच्छेद 129,142 के तहत कारवाई करने की जा रही है ऐसी जानकारी श्री. र. के. पठान ने दी।  

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