[ब्रेकिंग] मुंबई कोर्ट द्वारा मुंबई मूनसिपल कमिश्नर इक़बाल चहल, सुरेश काकानी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सीताराम कुंटे के खिलाफ आरोपी सम्मन जारी.
- वैक्सीन कंपनियों को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचने के लिए अपराधिक साजिश रच कर कोव्हीड टीके के जानलेवा दुष्परिणाम छुपाकर टीका पूर्णतः सुरक्षित है ऐसा झूठा प्रचार करके लोगों को धोखे से टीका देना तथा केंद्र सरकार के निर्देशों के खिलाफ जाकर लोगों को टीका लेने के लिए मजबूर करने वाले निर्बंध लगाकर उनकी मौत के लिए जिम्मेदार तीनों आरोपी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 166, १६७, 304-A, 420, 120 (b) तथा आपत्ति निवारण कानून 2005 की धारा 51 (बी), 54, और 55 के तहत केस चालू करने के इश्यू प्रोसेस के आदेश देकर आरोपीयो को जमानत अर्जी आदि कारवाई तथा आरोपों के जबाब देने के लिए के 11 जनवरी 2023 की तारीख तय की।
- कोव्हीड टीका लेने वाले लोगों में दिल का दौरा पडने से मौत के मामले बहुत बढ़ गए हैं तथा टीके के दुष्परिणाम की वजह से लकवा, डायबिटीज, अंधापन,जोड़ों में दर्द, बहरापन खून की गुठलिया जमना () मस्तिष्क के न्यूरॉलॉगिकल प्रॉब्लेम, किडनी फेल हो जाना डायलिसिस की जरूरत पड़ना एसी कई बीमारियां सामने आई है।
- इस मामले में आरोपियों के खिलाफ IPC की 115, 304 (II), 302, 409 आदि धाराये लगाने के लिए फिर्यादी अंबर कोइरी की औरसे एक नई याचिका दायर की जाने वाली है।
- क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा 319 के तहत वैक्सीन कंपनी निर्माता अधार पूनावाला और बिल गेट्स समेत कई बड़े माफिया हो को सह आरोपी बनाकर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की याचिका जल्द दायर करने के संकेत।
- मास्क की अवैध वसूली के खिलाफ भी आरोपी अधिकारियों पर कानूनी कारवाई जल्द होने के संकेत।
- Cr.P.C. 319 मे यह प्रावधान है की
शिकायतकर्ता द्वारा दिए गये सबूत के आधारपर कोर्ट अतीरिक्त आरोपी जैसे बिल गेटस, अदार पुनवाला, WHO की डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, दिल्ली के डॉ रणदीप गुलेरिया, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे तथा महाराष्ट्र सरकार के टास्क फोर्स के सदस्य संजय ओक समेत अन्य आरोपियो के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है.
मुंबई विशेष संवाददाता: लोगों के जान माल की रक्षा एवं सेवा के लिए वचनबद्ध तथा जनता के
पैसों पर वेतन पाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार करके वैक्सीन
कंपनियों के फायदे के लिए लोगों को मौत के मुंह में धकेलने का मामला सामने आया है,
जिसमें मुंबई कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ सबूतों को आधार बनाते हुए केस चलाने के आदेश देने की
वजह से देशभर में हड़कंप मच गया है।
2. कोरोना
काल में वैक्सीन कंपनियों ने और खासकर को भी कोव्हीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी
के मलिक श्री अदार पूनावाला और उनके पार्टनर बिल गेट्स ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री
उद्धव ठाकरे उनके मुख्य सचिव सीताराम कुंटे, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, म्युनिसिपल
कमिश्नर इक़बाल चहल और एडिशनल कमिश्नर सुरेश काकानी के साथ मिलकर एक अपराधिक साजिश
रचकर गैरकानूनी कामों के जरिए वैक्सीन कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए
वैक्सीन के जानलेवा दुष्परिणाम को छुपाकर वैक्सीन पूर्णतः सुरक्षित है ऐसा झूठा
प्रचार करके तथा टीका नहीं लेने वालों पर निर्बंध लगाने वाले आदेश पारित करके
लोगों को टीका लेने पर मजबूर किया जिससे कई लोगों की मौत हो गई कईयों को लकवा,
हार्ट अटैक, अंधापन, बहरापन, डायबिटीज (मधुमेह), जोड़ों का दर्द, किडनी फेल हो जाना
बार बार डायलेसिस कराना पड़ना, मस्तिष्क संबंधी न्यूरॉलॉजीकल समस्याये ऐसी कई बीमारियों का शिकार होना पड़ा।
3. केंद्र
सरकार की वैक्सीन गाइडलाइंस के निर्देश सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा दिए गए
कई आदेश तथा विश्व प्रसिद्ध कोरोना महामारी विशेषज्ञ तथा ईमानदार डॉक्टर द्वारा
किए गए शोध में निम्न बातें को स्पष्ट किया गया था;
3.1. कोरोना टीका (Covid Vaccine) लेने से कोरोना का संक्रमण नहीं रुकता है, टीका लेने वाले संक्रमित भी होते हैं वे दूसरों को संक्रमण भी फैलाते हैं और उनकी मौत कोरोना से हो सकती है। इसलिए टीका
नहीं लेने वालों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए। [In Re: Dinthar Incident Aizawl Vs. State of Mizoram 2021 SCC OnLine Gau 1313, Madan Milli 2021 SCC OnLine Gau 1503, Jacob
Puliyel v. Union of India, 2022 SCC OnLine SC 533]
3.2. कोरोना
के टीके के दुष्परिणाम की वजह से युवाओं की मौत होने की वजह से करीब 21 यूरोपियन देशों ने कोव्हीशील्ड वैक्सीन के इस्तेमाल पर पाबंदी
लगा दी है।
3.3. किसी
भी व्यक्ति को यह अधिकार है की वह टीका लेने से माना कर दे, या उसकी मर्जी वाली
कोई भी पैथी जैसे आयुर्वेदिक,
नेचुरोपैथी, होम्योपैथी, जड़ीबूटी आदि दवाइयों से अपना इलाज करवाए । उसे उसकी मर्जी के बगैर
टीका नहीं दिया जा सकता ना ही उसे टीका नहीं लेने का कारण पूछा जा सकता है, देश का
कोई भी अधिकारी और यहातक की जज भी किसी पर दबाव नहीं डाल सकते की वह दवाई न लेने का
कारण बताएं यह या उसके निजता के अधिकारों का हनन होगा। (इसीलिए घर-घर दस्तक अभियान
असंवैधानिक था।) [Common
Cause Vs. Union of India (2018) 5 SCC 1, A. Varghese v. Union of India, 2020
SCC OnLine Kar 2825
Dr AKB Sadbhavana Mission School of Homeo Pharmacy v.
Ministry of Ayush, (2021) 2 SCC 539, Ponnekanti Rao Vs. State of Andhra Pradesh
2021 SCC OnLine AP 2171, Aruna Ramachandra
Shanbaug v. Union of India, (2011) 4 SCC 454, Registrar General, High Court of Meghalaya Vs. State of
Meghalaya 2021 SCC OnLine Megh 130]
3.4. टीका नहीं लेने वाले व्यक्ति को किसी भी सुविधा या लाभ
से वंचित नहीं रखा जा सकता। उनका राशन या वेतन रोक देना उन्हें लोकल ट्रेन में सफर
करने से रोकना या किसी प्रकार की पाबंदी लाना गैरकानूनी और असंवैधानिक है ऐसे
अधिकारी क्रिमीनल केस में सजा पाने तथा पिडीत नागरिकों का मुआवजा देने (Compensation)
के हकदार होंगे। [Registrar General, High Court
of Meghalaya Vs. State of Meghalaya 2021
SCC OnLine Megh 130, Madan Milli 2021 SCC OnLine Gau 1503, Aniruddha
Babar v. State of Nagaland, 2021 SCC OnLine Gau 1504, Osbert Khaling Vs. State of Manipur and Ors. 2021 SCC OnLine Mani 234, Jacob
Puliyel v. Union of India, 2022 SCC OnLine SC 533, Veena Sippy Vs. Mr.
Narayan Dumbre & Ors. 2012 SCC OnLine Bom339, S. Nambi
Narayanan Vs. Siby Mathews and Others (2018) 10 SCC 804]
3.5. किसी भी व्यक्ति को टीका (Covid
Vaccine) देने
से पहले टीके के सभी जानलेवा दुष्परिणामों
की जानकारी देकर उस व्यक्ति की लिखित अनुमति से ही टीका दिया जा सकता है (Consent
Form). छोटे
बच्चे को टीका देने से पहले उनके पेरेंट्स माता-पिता की लिखित अनुमति आवश्यक है।
3.6. अगर किसी भी व्यक्ति को दुष्परीणाम न बताकर और टीका
सुरक्षित है ऐसा झूठ बोलकर धोखे से टीका दिया गया या किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष
- अप्रत्यक्ष दबाव बनाकर अगर टीका लेने के लिए मजबूर किया गया हो तो दोषी अधिकारियों,
डॉक्टर, आशा वर्कर्स के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज होकर उन्हें 7 साल तक सजा हो सकती है तथा पीड़ित व्यक्ति को
हर्जाना/मुआवजा (compensation) देने का आदेश भी कोर्ट दे सकता है। अगर टीके के
दुष्परिणामों से मौत हुई है तो और भी गंभीर सजा और अन्य आदेश कोर्ट कर सकता है। [Rachana Gangu v. Union of India, 2022 SCC OnLine SC 1125, Sayeeda
K.A. v. Union of India, 2022 SCC OnLine Ker 4531, Sayeeda K.A. v. Union of
India, 2022 SCC OnLine Ker 4514, Dilip Lunawat v. Serum Institute of India (P)
Ltd., 2022 SCC OnLine Bom 1773.]
Title : Bill
Gates’ & Adar Poonawalla’s Game Over
Link
:
https://indianbarassociation.in/bill-gates-adar-poonawallas-game-over/
3.7. जिन लोगों को कोरोना के विषाणु से संपर्क हुआ है या कोरोना
होकर गया है ऐसे लोगों के शरीर में जो प्रतिकार शक्ति (Natural
immunity) तैयार
होती है वह बहोत ज्यादा प्रभावी होती है उससे मिलनेवाली सुरक्षा ठीके की सुरक्षा
से 2700 गुना ज्यादा प्रभावि और जीवन भर टिकनेवाली होती है। भारत
में ऐसे 90% से ज्यादा लोग हैं।
Link: https://www.youtube.com/
नेचुरल इम्यूनिटी वाले लोगों को टीका देना बेवकूफी है और
टीका देने से ऐसे लोगों की जान को खतरा बढ़ जाता है।
Link:-
4. लेकिन
वैक्सीन माफियाओ द्वारा आरोपी अधिकारियों के माध्यम से महाराष्ट्र में गैरकानूनी
निर्बंध लगाकर झूठ बोलकर तथा दबाव बनाकर लोगों को वैक्सीन लेने के लिए मजबूर किया
गया जिसकी वजह से लोगों के मूलभूत संवैधानिक अधिकारों का हनन हुआ,
कई लोगों की जानें गई और जनता के हजारों करोड़ों रुपयों का
नुकसान हुआ वो पैसा वैक्सीन कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए दिया गया।
5. इन
सभी सबूतों और सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के आदेशों के साथ ही शिकायत कर्ता ने टीके
से मरने वाले 23 वर्षीय युवक हितेश कड़वे और उनकी मां श्रीमती किरण यादव द्वारा दायर याचिका,
टीके के दुष्परिणाम से मौत होने वाली डॉक्टर स्नेहल
लुणावत और उसके पिता श्री. दिलीप लूनावत द्वारा दायर याचिका पर मुंबई उच्च
न्यायालय द्वारा बिल गेट्स, अदर पूनावाला को 1000 करोड़ रुपए मुआवजे का नोटिस आदि सभी बातों को कोर्ट की नजर में लाकर दोषी
आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
6. मुंबई
कोर्ट के जज ने सभी तथ्यों तथा कानूनी पहलुओ की जाच पडताल के बाद यह पाया की आरोपीचो के खिलाफ गंभीर
आपराधिक मामला बनता है।
7. कोर्ट
ने आरोपियों के खिलाफ IPC 166 (कानूनी प्रावधान तथा केन्द्र सरकार के निर्देशो के खिलाफ काम करना ),
167 (टीका न लेने वालो लोगो को क्षति पहुचाने वाले रिकॉर्ड तयार
करना), 304-A (गैरकानूनी
मनमाने आदेश देकर अपनी हरकतो से लोगो की
मौत के लिए जिम्मेदार होना) 420 (टीके के जानलेवा
दुष्परीणाम छुपाकर धोखे से उन्हे टिका देना) 120 (B) (अपराधिक साजिश रचना) Sec. 51(बी),
54, 55 आपत्ति निवारण कानून (केंद्र सरकार के निर्देशो का उल्लंघन) आदि गुनाहे के तहत केस चलाने
का आदेश दिया है।
इन मामलो मे आरोपियो को ७ वर्ष तक के कारावास की सजा हो
सकती है.
8. Cr.P.C. 319 मे यह प्रावधान है की
शिकायतकर्ता द्वारा दिए गये सबूत के आधारपर कोर्ट अतीरिक्त आरोपी जैसे बिल गेटस, अदार पुनवाला, WHO की डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, दिल्ली के डॉ रणदीप गुलेरिया, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे तथा महाराष्ट्र सरकार के टास्क फोर्स के सदस्य संजय ओक समेत अन्य आरोपियो के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है.
इसके अलावा आरोपियो के खिलाफ हत्या तथा जनता के पैसो के गबन
की अन्य धराये IPC 302,304,409 भी लगाई जा सकती है जिसमे उम्रकैद से लेकर फासी तक सजा हो सकती है.
इस मामले मे शिकायतकर्ता श्री. अंबर कोइरी थे अव्हेकन
इंडिया मुव्हमेंट (AIM) नामक एन.जी.ओ. के राष्ट्रीय समीति के सदस्य है. उनकी ओर से पैरवी करने
वाले मुख्य अधिवक्ता ॲड. ईश्वरलाल अग्रवाल थे तथा उनके
साथ मे अॅड. मीना ठाकूर, ॲड. सोहन अगाटे, ॲड. प्रतीक जैन सकलेचा, ॲड. अभिषेक मिश्रा, ॲड. दीपिका जैस्वाल, ॲड. शिव मिश्रा, ॲड. स्नेहल सुर्वे, ॲड. सौरव खन्ना, ॲड. हानिया शेख, ॲड. विकास पवार आदि कई वकीलो की टीम थी।
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समस्त आरोपियों को मौत की सजा मिलनी ही चाहिए
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